Introduction:
दोस्तों, इस लेख तक पहुँचने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! आपकी मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि आप Self Improvement और Spiritual Growth के लिए प्रयासरत हैं। इसी चाहत को ध्यान में रखते हुए मैं आज आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ सदगुरु जग्गी वासुदेव द्वारा लिखित विश्वप्रसिद्ध पुस्तक Inner Engineering Book की Summary in Hindi।
यह पुस्तक न्यूयॉर्क टाइम्स की Bestseller List में शामिल हो चुकी है और 14 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। इसमें जीवन को गहराई से समझने और आत्मिक शांति प्राप्त करने का मार्ग बताया गया है।
Sadhguru Jaggi Vasudev:
सदगुरु जी का जन्म 3 सितंबर 1957 को मैसूर (कर्नाटक) में हुआ। उनके पिता वासुदेव डॉक्टर थे और माता सुशीला धार्मिक गृहिणी। सद्गुरु बचपन से ही अत्यंत जिज्ञासु और चंचल स्वभाव के थे। उन्हें जंगलों में घूमना, सांप पकड़ना, पहाड़ों पर चढ़ना और प्रकृति से जुड़ना बहुत पसंद था।
बचपन में ही उनके मन में सवाल उठने लगे — ईश्वर कौन है? वह कहाँ रहता है? जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है? ऐसे बहुत सारे सवाल उनके मन में आते थे। बहुत जल्दी उन्हें एहसास हो गया कि “मैं किसी भी चीज के बारे में कुछ भी नहीं जानता”। इन्हीं प्रश्नों की जिज्ञासा ने उन्हें योग और ध्यान की गहरी साधना की ओर अग्रसर किया।
📒 सदगुरु जी ने योग का कोई भी ग्रंथ कभी पूरा नहीं पढ़ा। बस उनके आंतरिक अनुभव ही आगे चलकर Isha Foundation और Inner Engineering Program का आधार बने।
Inner Engineering Book Overview
सदगुरु जी ने इस पुस्तक को दो खंडों में बाँटा है:
- प्रथम खंड – जीवन का एक रोडमैप: आत्मचिंतन, जिम्मेदारी, आनंद और भाग्य निर्माण के सिद्धांत।
कितनी अजीब बात है कि आप उन चीजों को लेकर परेशान रहते हैं जो 10 साल 15 साल पहले आपके साथ घटित हुई है या फिर इस बात को सोच सोच कर परेशान होते रहते हैं कि कल कुछ होने वाला है? लेकिन दोनों ही जीवंत वास्तविकता नहीं है यह सब आपकी स्मृति, कल्पना  और विचारों का खेल है। जब तक आपका आंतरिक जीवन बाहरी हालात का गुलाम रहता है तो हमेशा संकट पूर्ण  स्थिति बनी रहेगी।
- द्वितीय खंड – साधन और अभ्यास: योग, ध्यान, ऊर्जा संतुलन और मन के आयाम।
क्लैश मिटाने का रास्ता, पीड़ा से मुक्ति का रास्ता बाहर मत खोजिए, केवल एक ही रास्ता है और वह अपने अंदर ही है।
👉 पुस्तक का मुख्य संदेश यह है कि हर समस्या का हल हमारे भीतर ही छिपा है। जब तक हम अपने अनुभवों और मन को नियंत्रित नहीं करते, तब तक बाहरी परिस्थितियाँ हमें दुख देती रहेंगी।
Create Your Own Destiny – खुद बनाएँ अपना भाग्य
सदगुरु बताते हैं कि:
- यदि आपको अपने शरीर पर अधिकार है, तो 20% तक आपका भाग्य आपके हाथ में है।
- यदि आपको अपने मन पर अधिकार है, तो 50–60% भाग्य आपके नियंत्रण में है।
- यदि आपको अपनी ऊर्जा पर अधिकार है, तो पूरा जीवन और भाग्य आपके हाथ में होगा।
इसलिए हमें बाहरी हालात को दोष देने की बजाय अपने भीतर झाँककर अपने भाग्य को खुद लिखना चाहिए।जब आप सही काम करेंगे तभी आपका भाग्य आपका अपना होगा, 100 फ़ीसदी आपका अपना।
👉 अगर आप बाहर की तरफ जाते हैं तो यह एक अंतहीन यात्रा है, लेकिन अगर आप भीतर की तरफ मुड़ जाते हैं तो सिर्फ एक पल की दूरी है। एक पल में ही आपका जीवन पूरी तरह से बदल सकता है ।
Learn to Take Responsibility – ज़िम्मेदारी लेना सीखें
जीवन बदलने की शुरुआत Responsibility लेने से होती है। जिम्मेदारी का अर्थ है सचेत होकर परिस्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया देना।
- जब आप अपनी असफलताओं का दोष दूसरों पर डालते हैं, तो आपके पास समाधान खोजने का कोई विकल्प नहीं बचता।
- लेकिन जब आप जिम्मेदारी लेते हैं, तो नये रास्ते और समाधान स्वतः खुलने लगते हैं।
👉  जिम्मेदारी का मतलब दुनिया का बोझ अपने सर पर लेना नहीं है, इसका सीधा मतलब है सचेतन होकर हालात के प्रति रिस्पॉन्ड करना। जब आप तय करते हैं कि मैं जिम्मेदार हूं, तो आपके पास रिस्पॉन्ड करने की काबिलियत होगी, और अगर आप यह तय करते हैं कि मैं जिम्मेदार नहीं हूं, तो आपके पास रिस्पॉन्ड करने के कोई ऑप्शन ही नहीं होंगे। 
सदगुरु कहते हैं:
 “नाराजगी, गुस्सा और जलन ऐसे ज़हर हैं जिन्हें इंसान खुद पीता है और उम्मीद करता है कि दूसरा दुखी होगा।”
इसलिए हर स्थिति को अपने ऊपर लेकर सही ढंग से प्रतिक्रिया करना ही आंतरिक शांति और विकास की कुंजी है।
💡 शुरुआत में सभी चीजों के प्रति जागरूक बनने की कोशिश कीजिए। अगली बार जब आप भोजन करें, तो पहले 15 मिनट किसी से बात मत कीजिए, जो भोजन आप खा रहे हैं, जो पानी पी रहे हैं, जिस हवा में सांस ले रहे हैं, बस इसके प्रति सक्रिय सचेतन रूप से रिस्पोंड करने के भाव में रहिए। रिस्पॉन्ड करने का मतलब अपनी कृतज्ञता का भाव रखिए।
💡 अगर भरपेट भोजन मिल रहा है तो इसके लिए कृतज्ञ होना चाहिए कितने लोगों को तो दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं होता। दिन में कई बार और सुबह उठते वक्त अपने मन में दोहराते रहिए- मेरी जिम्मेदारी असीमित है, मैं हर चीज के लिए रिस्पॉन्ड कर सकता हूं। मैं खुद अपने जीवन का निर्माता हूं। आप इस वाक्य को दोहराते रहिए, अपनी जागरूकता बढ़ाते रहिए फिर देखिए क्या होता है?
Yoga – The Science of Alignment | योग
योग शरीर, मन और ऊर्जा को संतुलन में लाने का विज्ञान है। आधुनिक विज्ञान जहाँ अस्तित्व को ऊर्जा का खेल मानता है, वहीं योग उस ऊर्जा को जागरूकता और आनंद की दिशा में प्रवाहित करता है।
पाँच कोष (Layers of Existence)
- अन्नमय कोष – स्थूल शरीर (अन्न शरीर)
- मनोमय कोष – मानसिक परत (मानसिक काया)
- प्राणमय कोष – ऊर्जा शरीर
- विज्ञानमय कोष – आकाशीय परत
- आनंदमय कोष – शुद्ध आनंद का आयाम
जब ये पाँचों स्तर संतुलित होते हैं, तब मनुष्य अपने सर्वोच्च आयाम का अनुभव करता है।
Mind – मन के आयाम
योग पद्धति मन को 16 आयामों में बाँटती है, जिन्हें चार श्रेणियों में रखा गया है:
- बुद्धि (Intellect) – अंतर करने की क्षमता
- मानस (Memory) – अनुभवों का संचय
- चित्त (Awareness) – बुद्धि और स्मृति से परे चेतना
- अहंकार (Ego) – पहचान और व्यक्तित्व का आधार
जब हम शरीर और मन के बीच सचेत हो जाते हैं, तो एक असीम संभावनाओं का द्वार खुलता है।
👉 जिस विचार को आप नहीं सोचना चाहते, वही विचार सबसे पहले आप के दिमाग़ मे आयेगा। मनुष्य के मन की यही प्रकृति है।आप मन की गतिविधियों को जबरदस्ती रोकने की कोशिश ना करें, नहीं तो मन और तेज भागेगा। अगर आप इस पर ध्यान नहीं देते तो विचार धीरे-धीरे कम होते जाएंगे।
Energy – ऊर्जा और चक्र
मानव शरीर में लगभग 72,000 नाड़ियाँ हैं, जिनका केंद्र तीन मुख्य नाड़ियाँ हैं:
- पिंगला (Surya – पुरुष ऊर्जा)
- इड़ा (Chandra – स्त्री ऊर्जा)
- सुषुम्ना (Balance & Liberation)
इन्हीं से ऊर्जा प्रवाहित होकर शरीर के 7 मुख्य चक्रों में पहुँचती है:
- मूलाधार: गुदा और जननांग के बीच स्थित होता है।
- स्वाधिष्ठान: जननांग से ठीक ऊपर होता है।
- मणिपुर: नाभि से तीन चौथाई इंच नीचे होता है।
- अनाहत: पसलियों के मिलने की जगह के नीचे गड्ढे में होता है।
- विशुद्धि: कंठ के गड्ढे में होता है।
- आज्ञा: दोनों  भौंहों के बीच में होता है।
- सहस्रार: सिर के सबसे ऊपरी जगह पर होता है,( यह नवजात शिशु के सिर में ऊपर सबसे कोमल जगह होती है।
जब ऊर्जा इन चक्रों से होकर संतुलित रूप से बहती है, तब जीवन आनंद और संतुलन से भर जाता है।
👉 शरीर तंत्र में चक्र वह शक्तिशाली केंद्र है, जहां नाडिया खास तरीके से मिलकर ऊर्जा का भंवर बनाते हैं। शरीर में कुल 114 चक्र है, 2 शरीर के बाहर और 112 शरीर के अंदर, इन 112 चक्रों में से 7 मुख्य चक्र हैं।
Practical Lessons from Inner Engineering
- सोते समय आत्मचिंतन – सोने से पहले “मैं कौन हूँ?” पर ध्यान लगाएँ।
👉 जब भी आप रात को सोने के लिए जाएं तो अपने भीतर मुड़कर देखने की जानने की कोशिश करें कि आप कौन हैं और इस जागरूकता के साथ नींद में प्रवेश करें। क्योंकि नींद में कोई बाहरी व्यवधान नहीं होता, अतः यह एक शक्तिशाली अनुभव के रूप में विकसित होगा।
- भोजन पर जागरूकता – शरीर से पूछें कि किस भोजन से वह सहज है।
👉 यदि आप कच्चा मांस खाते हैं तो इसे आपकी सिस्टम से बाहर आने में 70 से 72 घंटे लगेंगे, पका हुआ मांस 50 से 52 घंटे, पकी हुई सब्जी 24 से 30 घंटे, कच्ची सब्जी 12 से 15 घंटे और फल 1:30 से 3 घंटे का समय लेगा, इसे खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेट के लिए क्या सही है?
👉 ढेर सारा भोजन खा लें तो शिथिलता अनुभव करता है, या ऊर्जावान का? जिस तरह के भोजन से आपका शरीर सबसे अच्छा महसूस करें, वही हमेशा सबसे ठीक भोजन होता है।
- प्रकृति के प्रति कृतज्ञता – धरती, जल, अग्नि, वायु और आकाश के प्रति सम्मान रखें।
🌱 किसी पौधे या पेड़ के सामने कुछ समय के लिए बैठ जाइए। स्वयं को याद दिलाए कि पौधा जो सांस छोड़ रहा है उसे आप अपने अंदर ले रहे हैं और आप जो साथ छोड़ रहे हैं उसे पौधा अपने अंदर ले रहा है, इसे दिन में 5 बार दोहराई। कुछ दिनों बाद आप अपने आसपास हर चीजों से एक अलग तरह का लगाव महसूस करेंगे।
🌱 वह सांस जो आप लेते हैं, वह भोजन जो आप करते हैं, वह पानी जो आप पीते हैं, वह धरती जिस पर आप चलते हैं और वह आकाश जो आपको थामे हुए हैं- बस आपको इन सब के प्रति जागरूक रहना है, इन सब के प्रति कृतज्ञ रहना है।
- ध्यान अभ्यास – रोज़ाना कुछ मिनट रीढ़ सीधी रखकर ध्यान करें।
👉 आप अपने ध्यान को किसी एक संवेदना पर केंद्रित कीजिए- अपनी सांस, हृदय गति, अपनी नब्ज या अपनी छोटी उंगली, और एक बार में 11 मिनट तक ध्यान दीजिए। ऐसा दिन में तीन बार कीजिए यदि आपका ध्यान बट जाता है तो कोई बात नहीं, वापस से फिर ध्यान दीजिए। यह अभ्यास आपको सतर्कता से जागरूकता की ओर ले जाएगा।
Responsibility Affirmation – दिन में कई बार दोहराएँ: “मैं अपने जीवन का निर्माता हूँ।”
Conclusion
Inner Engineering Book हमें सिखाती है कि जीवन का असली स्रोत हमारे भीतर है। जब हम सचेत होकर अपने शरीर, मन और ऊर्जा को साध लेते हैं, तभी हम सच्चे आनंद और शांति का अनुभव कर सकते हैं।
अगर आप गहराई से इस अनुभव को पाना चाहते हैं तो Isha Foundation का Inner Engineering Program आपके लिए एक अमूल्य साधन हो सकता है। लेकिन उससे पहले इस पुस्तक को पढ़ना आपके लिए और भी उपयोगी होगा।
FAQ
Q1: सदगुरु जी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
 ➡ 3 सितंबर 1957, मैसूर (कर्नाटक)
Q2: सदगुरु जी का पूरा नाम क्या है?
 ➡ जगदीश वासुदेव (घर में उन्हें ‘जग्गी’ कहा जाता था)
Q3: सदगुरु जी का आश्रम कहाँ है?
 ➡ मुख्य केंद्र – ईशा योग सेंटर, वेल्लियंगिरि पर्वत, कोयंबटूर
Q4: Inner Engineering Book क्या हिंदी में उपलब्ध है?
 ➡ हाँ, यह हिंदी सहित कई भाषाओं में उपलब्ध है।
Q5: Inner Engineering Program की फीस कितनी है?
 ➡ ऑनलाइन कोर्स की फीस English में लगभग ₹3200 और Regional Languages में ₹1600 (ऑफ़र के अनुसार बदलती रहती है)।
Inner Engineering ऑनलाइन कोर्स की फ़ीस आप इस लिंक से चेक कर सकते हैं। Current में इसका price English में 3200Rs. और Regional language में 1600Rs. current में New Year का offer Price चल रहा है।इसलिए price कम है। इस तरह के ऑफ़र समय समय पर आते रहते हैं।
Final Words
दोस्तों, यदि आप सच में जीवन को गहराई से समझना चाहते हैं तो Inner Engineering Book by Sadhguru अवश्य पढ़ें। यह सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि जीवन जीने की कला है।
दोस्तों अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आप अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दीजियेगा।
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