The Laws of The Spirit World – Khorshed Bhavnagari ki drishti se

The Laws of The Spirit World – Khorshed Bhavnagari ki drishti se

The Laws of The Spirit World, मानव के जीवन से जुड़ा सबसे गहरा आयाम है। जब भौतिक जीवन समाप्त हो जाता है, तब आत्मा का असली सफ़र शुरू होता है। इसी अदृश्य लेकिन सत्य यात्रा का वर्णन हमें ख़ोरशेद भवनाग़री (Khorshed Bhavnagri) की पुस्तक “Jivatma Jagat ke Niyam” में मिलता है। 

‘खोरशेद भावनगरी’ द्वारा लिखित यह पुस्तक न केवल मृत्यु के बाद के रहस्यों को उजागर करती है, बल्कि आत्मा की वास्तविक प्रकृति, उसके नियम और उसके कर्मों के प्रभाव को भी स्पष्ट करती है।साथ ही ये किताब जीवन जीने के व्यावहारिक नियम के बारे में भी बताती है।

Jivatma Jagat ke Niyam
Jivatma Jagat ke Niyam

 

Table of Contents

लेखक का परिचय – ख़ोरशेद भवनाग़री (Khorshed Bhavnagri)

  • ख़ोरशेद भवनाग़री का जन्म भारत में पारसी परिवार में हुआ था।
  • उन्होंने अपनी दो संतानों विस्पी भावनगरी और रतू भावनगरी को एक कार दुर्घटना में २२ फरवरी १९८० को खो दिया।
  • उसी गहरे शोक के दौरान, उन्हें आत्मिक माध्यम (Automatic Writing) के द्वारा अपने बच्चों से संदेश प्राप्त होने लगे।
  • उन्हीं संदेशों को एक पुस्तक का रूप दिया गया, जिसे हम आज The Laws of The Spirit World के नाम से जानते हैं।
  • यह किताब दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरणा दे चुकी है।

जीवात्मा जगत — आत्मा का असली संसार

जैसा कि किताब में वर्णित है, जीवात्मा जगत (SPIRIT WORLD) वह स्थान है जहाँ आत्माएं मृत्यु के उपरांत जाती हैं। यहाँ प्रत्येक आत्मा अपने कर्म के आधार पर विभिन्न ‘लोकों’ में निवास करती है। यह जगत सात विभिन्न स्तरों (‘लोकों’) में विभाजित हैं — जिसमें निचला लोक सबसे नीचे है और सातवाँ सबसे उच्च स्थान पर है। हर मनुष्य अपने कर्मों और भावनाओं के अनुसार उस लोक में जाता है, जिसके वह योग्य होता है।

जीवात्मा जगत के 7 स्तर

ख़ोरशेद भवनाग़री ने आत्मिक जगत को 7 स्तरों (Realms/Planes) में बाँटा है –

  1. पहला स्तर (निचला स्तर) – यहाँ वे आत्माएँ जाती हैं जिन्होंने जीवन में नकारात्मक कर्म किए। यह अज्ञान और पीड़ा का क्षेत्र है।
  2. दूसरा स्तर – सुधार और पछतावे का स्तर। आत्मा यहाँ अपने कर्मों का परिणाम समझती है।
  3. तीसरा स्तर – यह एक मध्यवर्ती स्थान है जहाँ आत्मा को अवसर मिलता है अपने आप को सुधारने का।
  4. चौथा स्तर – सकारात्मक आत्माएँ यहाँ पहुँचती हैं। यह ज्ञान और शांति से भरा स्तर है।
  5. पाँचवाँ स्तर – यहाँ केवल वे आत्माएँ आती हैं जिन्होंने परोपकार, सेवा और सत्य मार्ग अपनाया हो।
  6. छठा स्तर – अत्यंत पवित्र और ज्ञानवान आत्माओं का क्षेत्र।
  7. सातवाँ स्तर (सर्वोच्च स्तर) – ईश्वर के निकटतम आत्माएँ यहाँ जाती हैं। इसे मोक्ष की स्थिति माना जाता है।

मनुष्य के कर्मों का प्रभाव

‘जीवात्मा जगत के नियम’ किताब बार-बार यह संदेश देती है कि “जो बोया है, वही काटना है”। अगर व्यक्ति अच्छे कर्म करता है, दूसरों को बिना किसी स्वार्थ के सहायता करता है, सहानुभूति और प्रेम दिखाता है, तो वह आत्मा की उन्नति करता है और उच्च लोकों में पहुंचता है। वहीं अगर व्यक्ति बुरे कर्म करता है— जैसे कि अन्याय, झूठ, चोरी, हानि—तो उसे अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है और नीच के लोकों में निर्भर जाना पड़ता है।

कर्म और आत्मा का संबंध

  • इस पुस्तक का सबसे गहरा संदेश यही है कि कर्म (Actions) ही आत्मा का भविष्य तय करते हैं।
  • हर अच्छा या बुरा कार्य आत्मा के ऊर्जा-क्षेत्र (Aura) में दर्ज हो जाता है।
  • मृत्यु के बाद आत्मा अपने किए हुए कर्मों का पूरा फल भोगती है।
  • इसलिए हमें जीवन में सत्य, करुणा, ईमानदारी और सेवा को अपनाना चाहिए।

भावनाओं और विचारों की शक्ति

पुस्तक में बताया गया है कि ‘जीवात्मा जगत’ केवल भाग्य या किस्मत के नियमों पर नहीं चलता, बल्कि हमारी भावनाएँ और विचार इस संसार में ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होकर वातावरण को प्रभावित करती हैं। जब हम प्रेम, शांति, सहयोग और उम्मीद जैसी सकारात्मक भावनाएँ रखते हैं, तो हमारी ऊर्जा ऊर्ध्वगामी होती है; इससे आत्मा की उन्नति होती है, वहीं क्रोध, ईर्ष्या, भय जैसी नकारात्मक ऊर्जाएँ आत्मा को नीचे ले जाती है।

आत्मा की यात्रा और पुनर्जन्म का नियम

आत्मिक यात्रा केवल एक जन्म में समाप्त नहीं होती। यह अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है। आत्मा अपने पूर्व जीवन के कर्मों से सीखती है और यदि उसने जीवन में शुद्धता, प्रेम, सत्य की ओर बढ़ने की कोशिश की है तो वह उच्चतर और शुद्ध बनती जाती है। हिंदू और अन्य शास्त्रों के पुनर्जन्म सिद्धांत के अनुसार, आत्मा एक शरीर छोड़ने के बाद नए शरीर में जन्म लेती है, जिससे उसकी आध्यात्मिक यात्रा और भी उत्कृष्ट बन सके।

👉 जीवात्मा जगत में सर्वशक्तिमान ईश्वर से कह सकते हैं कि कहाँ पर जन्म लेना है। यदि किसी जीवात्मा ने अपनी माँ का चयन कर लिया तो उसे किसी अन्य माँ के पास जाने के लिए कोई बाध्य नहीं कर सकता।

लोकों की व्यवस्था एवं आत्मा का जीत

‘जीवात्मा जगत के नियम’ के अनुसार, आत्मा केवल उसी लोक में जा सकती है जिसके वह योग्य है। पुस्तक साफ करती है कि कोई भी आत्मा अपने अधिकार से ऊपर नहीं जा सकती; न ही नीचे गिरने का डर रहता है (यदि वह उच्चतर लोक में है)। सभी आत्माएँ स्वतंत्र होती हैं — वे जिस कार्य में सबसे अधिक आनंद महसूस करती हैं, वे उसी को अपनाती हैं।

सही मार्ग — आत्मा की उन्नति

‘जीवात्मा जगत के नियम’ ये किताब आत्मा की उन्नति के पाँच मुख्य स्तंभों पर ज़ोर देती है:

  • सच्चाई और ईमानदारी का पालन
  • प्रेमभाव और शांति को अपनाना
  • दूसरों की सहायता और समर्पण
  • सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण
  • कर्म और पुनर्जन्म के सिद्धांत को समझना

इनका पालन करने से ही व्यक्ति आत्मिक क्षेत्र में प्रगति कर सकता है।

गहरे संदेश — पालतू प्राणियों, रिश्तों और दुख की अनुभूति

यह पुस्तक यह भी बताती है कि पालतू पशु जब मानव से सच्चा प्यार पाते हैं तो उनके मृत्यु के बाद उनकी आत्मा उच्चतर लोकों में स्थान पा सकती है। जीवात्मा अपना जीवन सामान्यतः खुश और संतुष्ट रहती हैं, लेकिन जब पृथ्वी पर अपने प्रियजनों को दुख सहते देखते हैं, तो वे दुखी भी होती हैं।

👉 जिन लोगों का जीवात्मा जगत से सम्पर्क नहीं है, वे अपने हृदय की गहर्राइयों से सर्वशक्तिमान ईश्वर को मदद के लिए पुकारें। सही राह दिखाने के लिए ईश्वर किसी ना किसी रूप में आप की मदद ज़रूर करेगा।

आत्मा की स्वतंत्रता और परम न्याय

किताब में स्पष्ट है कि कोई भी धर्म, पंथ, या बाहरी पूजा आत्मा के वास्तविक विकास का आधार नहीं है।इस किताब से पता चलता है कि एकमात्र सच्ची पूजा सच्चे परमात्मा की जाती है, और न्याय सदैव परमात्मा द्वारा हुआ करता है। 

हर आत्मा स्वतंत्र होती है, खुद की दिशा और कार्य चुन सकती है, लेकिन उसका अवचेतन मन कभी किसी भी गलत कार्य को अनुमति नहीं देता।

पुस्तक से जीवन के लिए 5 मुख्य शिक्षाएँ

1. मृत्यु अंत नहीं, एक नया आरंभ है

मृत्यु केवल शरीर का अंत है। आत्मा शाश्वत (Eternal) है और उसका सफ़र आगे भी चलता रहता है।

2. कर्म ही वास्तविक धन है

भौतिक संपत्ति मृत्यु के बाद साथ नहीं जाती। केवल अच्छे कर्म ही आत्मा को ऊँचाई पर ले जाते हैं।

3. आत्मिक जगत न्यायपूर्ण है

ईश्वर ने आत्मिक जगत को पूर्ण न्याय का स्थान बनाया है। यहाँ किसी के साथ अन्याय नहीं होता।

4. आत्मा का उत्थान धीरे-धीरे होता है

कोई भी आत्मा तुरंत उच्चतम स्तर पर नहीं पहुँच सकती। उसे अपने कर्म और सुधार के अनुसार क्रमशः आगे बढ़ना होता है।

5. जीवन में सकारात्मकता और प्रेम जरूरी है

पुस्तक का सार यही है कि हमें जीवन प्रेम, करुणा और आत्मिक विकास के साथ जीना चाहिए।

क्यों पढ़नी चाहिए यह किताब?

  1. मृत्यु और आत्मा के रहस्यों को समझने के लिए।
  2. जीवन को अधिक उद्देश्यपूर्ण और संतुलित बनाने के लिए।
  3. अपने दुखों और हानियों को आध्यात्मिक दृष्टि से देखने के लिए।
  4. आत्मा की शांति और मुक्ति के मार्ग को समझने के लिए।

निष्कर्ष — जीवन, मृत्यु और आत्मा का वास्तविक विज्ञान

ख़ोरशेद भवनाग़री की किताब “जीवात्मा जगत के नियम” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि जीवन बदलने वाली प्रेरणादायक किताब है। यह हमें सिखाती है कि मृत्यु से डरने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि हमें अपने वर्तमान जीवन को सच्चाई और अच्छाई के साथ जीना चाहिए।

यह किताब हर उस इंसान को पढ़नी चाहिए जो जीवन और मृत्यु के रहस्यों को गहराई से समझना चाहता है। इसमें हर इंसान को अपने जीवन और कर्मों के प्रति जागरूक रहने का संदेश है। यह पुस्तक पढ़कर व्यक्ति न सिर्फ मृत्यु के बाद जीवन की जिज्ञासा शांत कर सकता है, बल्कि अपने जीवन को और भी सच्चा, सुंदर और उद्देश्यपूर्ण बना सकता है।

FAQ

  1. जीवात्मा जगत के नियम किताब का मुख्य संदेश क्या है?
    ‘जीवात्मा जगत के नियम’ आत्मा के अस्तित्व, मृत्यु के बाद की यात्रा, और कर्म के प्रभाव को विस्तार से समझाती है। इसका मुख्य संदेश यही है कि हमारे ये जीवन और कर्म ही आत्मा की आगे की यात्रा और स्थिति तय करते हैं।
  2. आत्मा मृत्यु के बाद कहाँ जाती है?
    किताब के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा ‘जीवात्मा जगत’ के विभिन्न लोकों में जाती है, जहाँ उसका स्थान उसकी सोच, भावनाओं और कर्मों के अनुसार तय होता है।
  3. क्या आत्माओं को भोजन या पोषण की ज़रूरत होती है?
    आत्मा को शारीरिक भोजन की आवश्यकता नहीं होती, परंतु उसे ऊर्जा और पोषण सूर्य के प्रकाश से, अच्छी भावनाओं और आत्मिक कार्यों से मिलते हैं।
  4. क्या पालतू जानवरों की आत्मा को भी मानवों के जैसे स्थान मिल सकता है?
    अगर पालतू जानवर को सच्चा प्यार मिलता है, तो उसकी आत्मा मृत्यु के बाद उच्चलोकों में स्थान पा सकती है, जैसा कि मानव आत्माओं के साथ होता है।
  5. क्या पृथ्वी पर जीवित लोग आत्माओं से संपर्क कर सकते हैं?
    किताब में बताया गया है कि प्रशिक्षित माध्यम (मीडियम) की सहायता से ऑटोमेटिक राइटिंग आदि विधियों के जरिए आत्माओं से संपर्क किया जा सकता है; इससे आत्मा को दुख नहीं पहुँचता, बल्कि परिजनों को सांत्वना मिलती है।

👉 अगर आप इस किताब के बारे में और जानकारी चाहते हैं तो इस लिंक के थ्रू जान सकते हैं।

बुक ज्ञान का साथ, मन में विश्वास।

अन्य बेहतरीन बुक समरी –

Inner Engineering Book Sadhguru’: जानिए इस पुस्तक में छिपी शक्तियों को!

Top Ten Facts about Abdul Kalam

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top